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मेरे आंगन में है रूई / ठाकुरप्रसाद सिंह
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मेरे आंगन में है रुई
रूई का सूत
उत्तर से आंधी
है दक्षिण से पानी
मुझको है दिए की
बाती बनानी
ख़बरदार रे
आंधी-पानी के पूत