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कनाट प्लेस : एक शाम / रमेश रंजक
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ज्योतिषी सितारों ने फैला दीं
श्वेत चादरें
फूटी क़िस्मत वाले क्या करें ?
(जिए या मरें ?)
देह धरे कदली की रात,
सड़कों पर घूमती
दूध्या उजाले की प्यास
पंखुरियाँ चूमती
मछली-सी झूम-झूलतीं
कुहरे में झालरें
महँगी अस्मत वाले कुआ करें ?
(जिए या मरें ?)