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गुलों के साथ अजल के पयाम / ग़ुलाम रब्बानी 'ताबाँ'
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गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए
बहार आई तो गुलशन में दाम भी आए
हमीं न कर सके तज्दीद-ए-आरज़ू वरना
हज़ार बार किसी के पयाम भी आए
चला न काम अगर चे ब-ज़ोम-ए-राह-बरी
जनाब-ए-ख़िज़्र अलैहिस-सलाम भी आए
जो तिश्ना-ए-काम-ए-अज़ल थे वो तिश्ना-काम रहे
हज़ार दौर में मीना ओ जाम भी आए
बड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए 'ताबाँ'
रह-ए-हयात में ऐसे मक़ाम भी आए