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हसिबा बेलिबा रहिबा रंग / गोरखनाथ
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हसिबा बेलिबा रहिबा रंग। काम क्रोध न करिबा संग।।
हसिबा षेलिबा गाइबा गीत। दिढ़ करि राषिबा अपना चीत।।
हसिबा षेलिबा धरिबा ध्यान। अहनिसि कथिबा ब्रह्म गियान।।
हसै षेलै न करै मत भंग। ते निहचल सदा नाथ के संग।।
हबकि न बोलिबा ढबकि न चलिबा धीरे धरिबा पांव।
गरब न करिबा सहजै रहिबा भणत गोरष रांव।।
धाये न षाइबा भूषे न मरिबा अहनिसि लैब ब्रह्म अगिनि का भेवं
हठ न करिबा पड़या न रहिबा यूँ बोल्या गोरष देवं।।