भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंधेरे का अर्थ / प्रताप सहगल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:50, 14 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप सहगल |अनुवादक= |संग्रह=अंध...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा सुरमई
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा रेशमी
मैंने कहा अंधेरा
आपने समझा गेसू।
कितना आसान है
अंधेरे के नाम पर
हो जाना रोमानी
शायद तभी
कहीं आसपास
अंधेरे से घिरे लोग
अंधेरे में डूबी दुनिया
रह जाती है
बिन जानी-पहचानी।