भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पोसाळ / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:31, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
तीस बरस जूनी
भीतां ई
भणी-गुणी है अठै
कान पाकग्या
अ अनार
आ आम री टेर सुणतां
सातवैं सुर में
बारखड़ी रो बालणो
मंतरा सूं होड करै।
आ पोसाळ
कींकर
कम है किणी मिंदर सूं?