भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्धारो / श्याम महर्षि

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:55, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अन्धारै रै
सबळा हाथां सूं
लड़नै खातर
म्हनैं
म्हारै अन्तस मांय
अंवेरणी पड़सी
चिणगारी
इण चिणगारी रै तांण
लड़सूं म्हैं
वां अलेखूं हाथां सूं
जिका लगोलग
म्हारा अर म्हारी
बिरादरी रा कंठ
मोसता रैया है।

म्हैं अबे
म्हारी अन्तस री
दीठ सूं
ओळखण लागग्यो हूं
अन्धारै रै
वां हाथां नैं
जिकां नै कई लोग
आपरै इसारै सूं
चलावै।
म्हैं पिछाणग्यो हूं
वां हाथां नै
अर वां नै चलावणियां नै,
सागड़दी
उणां सूं राड़ करणै री
धारणा बणाय लिवी है।
म्हारै अन्तस री
दीठ मांय
दिखतो चानणौ
म्हारै साथै है
अर रैयसी
जुगां-जुगां