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लीजिए हमारी तरकारी रघुराई आज / महेन्द्र मिश्र

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लीजिए हमारी तरकारी रघुराई आज
परवल ओ करैला के दुकान सभ हमारे है।
बैंगनी स्वेत लाल बड़ा छोटा बहुभांतिन के
लउका और कोंहड़ा तो अभी के तोर डारे हैं।
गेन्दरी और पालकी गुलाब-छड़ी भाजी नेक
केला है हजारा खाने जोग तो निहारे हैं।
द्विज महेन्द्र सस्ते दाम देइगें तुम्हारे हेत
जानत नहीं कीमत तू तो अबहीं सुकुमारे है।