भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
श्वेत फूल / सुभाष काक
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:10, 14 नवम्बर 2013 का अवतरण
बचपन के आँगन के
श्वेत फूल
मैं भूल गया,
जब से गाँव छोड़ा
वैसे पौधे नहीं देखे।
प्रातः कल
अमेरिका की एक नई बस्ती में
जहाँ मैं खो गया था
गाड़ी की खिड़की से
मैंने वैसे ही
श्वेत फूल
एक घर के पास पाए
एक लड़का उस उद्यान में
खेल रहा था।
जैसे स्वप्न में
डूबा हो।