Last modified on 16 दिसम्बर 2013, at 11:02

माधव! मो सम कौन अभागी / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:02, 16 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माधव! मो सम कौन अभागी॥
करौं न पलक याद मैं तुहरी, नाहिं भगति उर जागी।
हाय-हाय करतहि दिन बीतत, जरौं नित्य चिंतागी॥
भय-बिषाद सौं भर्‌यौ रहौं, नित भटकत इत-‌उत भागी।
मिलत न कतहुँ सांति-सुखमय थल, भोग-जगत जेहि लागी॥
नाथ! करहु अब सहज कृपा तुम, जागै तव बिरहागी।
बनौं तुम्हारे पद-कमलनि कौ लघु सेवक बड़भागी॥