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तेरा खेत लामणी आरया सै / दयाचंद मायना
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तेरा खेत लामणी आरया सै औ छोरे जमींदार के
काट ले नै धान अपने ढूंगे-2 क्यार के
खूब लगा ले जोर मनै तेरे तै आगै जाणा सै
जवानी का सारा हांगा फेर के म्हं लाणा सै
हमनै मेहनत करकै खाणा सै, बता और म्हारा रोजगार के
खेती कह धणी के सेती कोठी बंगले महल हमारे
उठ्ण, बैठण, लेटण खातर डळे बहान के पहल हमारे
गऊ के जाए बैल हमारे कमाऊ संसार के
ओहे नर कुमावेंगे जो नींद आळकश त्याग जांगै
खरे दाम, खोटे टोटे पड़ोसियां के बहग जांगे
थारै अन्न के ठेके लाग जांगे कोठे भरज्यां न्यार के
तरां-तरां के फूल सज्जनियां दुनियां खिलरी गुलदस्ता
माने आळे ‘दयाचंद’ तेरा सुंदर कहण करारा खसता
कदे मंहणा, कदे सस्ता, ये भाव सैं बजार के