भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विषाद - 3 / विजेंद्र एस विज
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:29, 7 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेंद्र एस विज |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
उसने पाताल से निकलकर
लिखी एक कविता...
विजय पा ली
अपने गिरते आत्म विश्वाश पर..
शून्यता से दूर
गगन में तारों के साथ
खेलने लगी...
उसने एक कविता लिख दी
संसार रच डाला...