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एक और आसमान / भवानीप्रसाद मिश्र
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मछली
उछली
उजली चाँदनी ने
उस पर हाथ फेरा
चाँदनी से भी
उजले पानी का
पानी पर
एक घेरा बन गया
मन गया मानो
नीचे धरती पर भी एक आसमान