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रहे जो ज़िन्दगी भर साथ ऐसा / देवी नांगरानी
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रहे जो ज़िन्दगी भर साथ ऐसा हमसफ़र देना
मिले चाहत को चाहत वो दुआओं में असर देना
हमें पहुँचाये मंज़िल तक, कोई ऐसी डगर देना
जो तपती धूप में साया घना दे, वो शजर देना
ख़ुदाया, अपने दिल का हाल मैं जिसको सुना पाऊँ
मेरी मजबूरियाँ समझे, मुझे वो इक बशर देना
मकां से लामकां तक का सफ़र सदियों से है जारी
रिहाइश के लिए अब तो, ज़मीं पर एक घर देना
छिपा है तेरा जलवा जो फरेबों के धुंधलकों में
उन्हें मैं चीर कर रख दूँ, मुझे पैनी नज़र देना
अगर हों मुशकिलें तो साथ उसके राहतें भी हों
अंधेरी हों अगर रातें, तो उजली हर सहर देना