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उसी से रूबरू मैं हो रहा हूँ / देवी नांगरानी

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उसीसे रूबरू मैं हो रहा हूँ
वो जिसके साए से घबरा गया हूँ

है क़द ऊँचा तुम्हारा जानता हूँ
भले ही उम्र में तुमसे बड़ा हूँ

निवाला जब भी छीना गुरबतों ने
मैं तब से भूख से लड़ता रहा हूँ

है मिलने की बिछड़ने की रवायत
हक़ीक़त से मैं वाकिफ़ हो रहा हूँ

कहाँ संभाल कर रक्खूं उम्मीदें
दिवारो-दर को तकता जा रहा हूँ