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कभी गले से लगाकर तो देखो / तारा सिंह
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कभी गले से लगाकर तो देखो
दिल से दिल मिलाकर तो देखो
हम भी चीज हैं बड़े काम की
एक बार आजमाकर तो देखो
मिलेगा बहुत चाहनेवाला, न होगा
मुझ सा कोई,पास बिठाकर तो देखो
तुम्हारी पलकों के साये में उम्र
गुजार दूँगा, नजरें उठाकर तो देखो
है इश्क की गर्मी से मारहा-ए-कायनात
संग अपने सुलाकर तो देखो