भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भींगना / शैलजा पाठक
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:32, 30 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शैलजा पाठक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)
आज एक बच्चे ने भगवान को
भींगने से बचाया
और उनके नाम पर कमाया पाँच रुपया
अपनी जेब में छुपाया
अपनी फटी बनियान के अंदर
डाल ली भगवान की फोटो
और तेज बारिश में
भीगता रहा नन्हां फरिश्ता
भगवान उसकी छाती में
महफूज सिसकता रहा
आज दोनों ही भीगे
किसी ने किसी को नही बचाया