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निंदिया सतावे / शमशेर बहादुर सिंह

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निंदिया सतावे मोहे सँझही से सजनी।
सँझही से सजनी ॥1॥
प्रेम-बतकही
तनक हू न भावे
सँझही से सजनी ॥2॥
निंदिया सतावे मोहे...।
छलिया रैन
कजर ढरकावे
सँझही से सजनी ॥3॥
निंदिया सतावे मोहें...।
दुअि नैना मोहे
झुलना झुलावें
सँझही से सजनी ॥4॥
निंदिया सतावे मोहें...।