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आल्हा ऊदल / भाग 12 / भोजपुरी

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जान छोड़ देल इंदरमन के जब सोनवा देल जवाब
केतना मनौलीं ए भैया के भैया कहा नव मनलव मोर
रात सपनवाँ सिब वाबा के
एतनी बोली सुनल इंदरमन राजा के के भैल अँगार
सोत खनाबों गंगा जी के सिब के चकर देब मँगवाय
फूल मँगाइब फुलवारी से घरहीं पूजा करु बनाय
तिरिया चरित्तर केऊ ना जाने बात देल दोहराय
करे हिनाइ बघ रुदल के
ऊ तो निकसुआ है सोंढ़ही के राजा झगरु देल निकाल
सेरहा चाकर पर मालिक के से सोनवा से कैसे करै बियाह
पाँचो भौजी है सोनवा के संगन में देल लगाय
मुँगिया लौंड़ी के ललकारे लौंड़ी कहना मान हमार
जैसन देखिहव् सिब मंदिर में तुरिते खबर दिहव् भेजवाय
मूरत देखे सिब बाबा के सोनवा मन मन करे गुनान
लौंड़ी लौंड़ी के ललकारे मुँगिया लौंड़ी के बलि जाओं
फूल ओराइल मोर डाली के फुलवारी में फूल ले आ वह जाय
एतनी बोली लौंड़ी सुन के लौंड़ी बड़ मंगन होय जाय
सोनक चंपा ले हाथन माँ फुलवारी में जेमल बनाय
बैठल राजा डेबा ब्राहमन जहवाँ लौंड़ी गेल बनाय
कड़खा बोली लौंड़ी बोलल बाबू सुनीं रजा मोर बात
कहाँ के राजा चलि आइल फुलवारी में डेरा देल गिराय