रे निरमोही, छबि दरसाय जा।
कान चातकी स्याम बिरह घन, मुरली मधुर सुनाय जा।
ललितकिसोरी नैन चकोरन, दुति मुखचंद दिखाय जा॥
भयौ चहत यह प्रान बटोही, रुसे पथिक मनाय जा॥
रे निरमोही, छबि दरसाय जा।
कान चातकी स्याम बिरह घन, मुरली मधुर सुनाय जा।
ललितकिसोरी नैन चकोरन, दुति मुखचंद दिखाय जा॥
भयौ चहत यह प्रान बटोही, रुसे पथिक मनाय जा॥