भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नाँव मंत्री के अब रटींला हम / बेढब बनारसी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:16, 31 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बेढब बनारसी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)
नाँव जेकर बहुत जपींला हम
ऊ त गुमनाम हौ सुनींला हम
शिव क, दुर्गा क पाठ का होई
नाँव मंत्री क अब रटींला हम
जब से देखलीं ह रंग हम ओनकर
मन ओही रंग में रँगींला हम
छ रुपइया किलो मलाई हौ
नाम खाली रटल करींला हम
घिव क नाहीं मिलत जलेबा हौ
चाह ओनके बदे धरींला हम
तू त भइलऽ सिमेंट क बोरिया
इंतजारी में नित मरींला हम
अस फँसउलन कि का कहीं भयवा
ऊ चरावेलँऽ आ चरींला हम
तू लड़ाई में पार का पइबऽ
राजनीतिक समर लड़ीला हम
लोग हम्मे कहेलन 'बेढब' हौ
बात ढब के मगर कहींला हम