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केशवाचें ध्यान धरूनि अंतरीं / गोरा कुंभार

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केशवाचें ध्यान धरूनि अंतरीं।
मृत्तिके माझारीं नाचतसे॥ १॥

विठ्ठलाचें नाम स्मरे वेळोवेळ।
नेत्रीं वाहे जळ सद्गसदीत॥ २॥

कुलालाचे वंशीं जन्मलें शरीर।
तो गोरा कुंभार हरिभक्त॥ ३॥