भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा / भजन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 1 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKDharmikRachna}} {{KKCatBhajan}} <poem> भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा, फेर ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अष्टक   ♦   आरतियाँ   ♦   चालीसा   ♦   भजन   ♦   प्रार्थनाएँ   ♦   श्लोक

भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा, फेर पछताओगे॥टेर॥
जिन तोकूँ पैदा किया, उसका नाम कदे नहीं लिया।
ऐसी नर देही बन्दा फेर कब पावोगे॥१॥
तिरिया और कुटुम्ब के खतिर, पच-पच के मर जावोगे॥
माया थारै संग न चाले रीते हाथ जावोगे॥२॥
एक दिन ऐसा होगा बन्दा, यम लेने को आवेंगे।
पूछेंगे हिसाब तेरा फेर क्या बतावोगे॥३॥
सूर के किशोर बन्दा छोड़ दे माया का फन्दा।
हरि के भजन कर पार लंघ जावोगे॥४॥