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निर्गुण-निराकार हैं वे ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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(राग तोड़ी-ताल त्रिताल)
निर्गुण-निराकार हैं वे ही, निर्विशेष वे ही पर-तव।
वही सगुण हैं निराकार सविशेष सृष्टि -संचालक तव॥
वही सगुण-साकार दिव्य लीलामय शुद्ध-सव भगवान।
अगुण-सगुण-साकार सभी हैं एक अभिन्न रूप सुमहान॥