भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हे कमलनयन, हे करुणामय / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:34, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=देवी...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हे कमलनयन, हे करुणामय, अपराध बहुत हम कयने छी
जौं आन हमर स्वामी रहितथि, नहि जानि की कयने रहितथि
हे केहन भरल अहाँ करुणामय, हम कयक बेर अजमौने छी
सिद्धान्त स्नेहलतासँ करू, भवसिन्धु सँ निश्चय कयने रहितहुँ
हे केहन क्षमा सँ भरल छी अहाँ, हम तकर परीक्षा कयने छी
आम फड़ैत कटहर अमृत घट, पान चुबैत गरल
के केहन भरल अहाँ करूणामय, हम कयक बेर अजमौने छी