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विरह के मातलि फल्लाँ छिनरो / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

विरह के मातलि फल्लाँ छिनरो
निपय रे अंगना-अंगनी
माझे अंगना मे पलंगा ओछओलनि
सूतल रे उढ़रा-उढ़री
हमरा तऽ माँग लागल घोटना-घोटनी
हम तऽ दारू पीयब चिखना चिखनी
आइ तऽ कहइ छी भैया उढ़रा-उढ़री
प्रात देखब भगिना-भगिनी