भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल फूले सदा कृष्णफूल रे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:02, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=ऋतू ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

फूल फूले सदा कृष्णफूल रे, ओहि केओरे के बाग मे
घोघट उघारी कऽ छिनरो के देखियनु
पूआ समान दुनू गाल रे, ओहि केओरे के बाग मे
चोलिया उघारिकऽ छिनरो के देखियनु
नेबो-नारंगी सन गोल रे, ओहि केओरे के बाग मे
घघरा उघारिकऽ छिनरो के देखियनु
दुतियाक चान उगि गेल रे ओहि केओरे के बाग मे
फूल फूले सदा कृष्णफूल रे, ओहि केओरे के बाग मे