भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँसू / सीमा 'असीम' सक्सेना

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:54, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सीमा 'असीम' सक्सेना |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन में भर आया है
दुःख बिछोह का
आँसू बहते हैं झर झर
मिलन इतना सुखद
विरह इतना दुखद
काश ये मन न होता
तो न होता प्रेम
न मिलन और बिछोह
या फिर मन होता पत्थर का
न बहते ये आँसू!