भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सूतल छलहुँ बाबा केर हवेलिया / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:59, 4 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सूतल छलहुँ बाबा केर हवेलिया, अझटेमे आबि गेल कहाउत
एक बेर एलै नउआ, दोसर बेर ब्राह्मण, तेसर वरक जेठ भाइ
एक कोस गेली सिया, दुइ कोस गेली, चलि गेली यमुना किनार
ओहार उठा कए जौं ताकलनि सीता, छूटि गेल बाबा केर राज
पर घर गेलिअइ, पर पुतोहु भेलिअइ, मिनती करैते दिन जाइ