भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फलाणे की बहु का घागरा / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 13 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(यहां किसी का भी नाम लिया जा सकता है जिसे सींठने दिये जाते हैं) की बहू का घागरा
धोबी धोए रे छिनाल
रे धइआं
धौंदे धौंदे बह गया
खड़ी रोवै रे छिनाल
रे धइआं
म्हारा...(अपने पक्ष के किसी पुरुष का नाम) न्यू कहै
क्यूं रोवै रे छिनाल
रे धइआं