भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झिल मिल साफा बांध दिखे री / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:36, 14 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=हर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
झिल मिल साफा बांध दिखे री दिल्ली में भरती हो लिया
छुट्टी आया री भरतार दिखे री मेरा ठंडा कालजा हो गया
झट पट मांडे पौए दिखे री आलू का साग बणा लिया
पूरी मांगी ना साग दिखे री मनै घाल्या उतणा खा लिया
निकल्या बिचली गाल दिखे री भावज के घर नै जा रह्या
खोलो भाभी अजड़ किवाड़ी दिखे री भाभी सांकल खोलो लोहै सार की
खुलगे अजड़ किवाड़ दिखे हो देवर सांकल खुलगी लोहै सार की
आओ देवर मूढै पै बैठ दिखे तैं तो घणे दिन्यां मैं बाह्वड़ा
हम नौकर सरकार दिखे री भाभी छुट्टी मिली जद आ लिया।