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एक जाट और एक जाटणी बालक बनायो / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एक जाट और एक जाटणी बालक बनायो
काई खोट बाबा ने बालक पे धप्प जमायो
बालक रोमत रोमत अपनी महतारी पै आयो
क्यों बालक मार्यो बालम बड़े दुखन्तु जायो
या में मेरो साझा ना है सुन आच्छा मारूंगा
अबे तबे बोलेगी दारी तोहे भी झारूंगा
तीन महीने लौं मोहे सूखी लियो हवकाई
उठे कमर में दरद देख मेरे पीछे बैठी दाई
मेरे बड़े परेखे आवैं मारैं माल लुगाई
कुनबा तो खाबे चुपरी चीकनी तने गोला खांड उड़ाई
इन मालन में आग लगादे तूं दो इक बालक करले
खबरदार जो तने बालक के हाथ लगायो
हरसुख कहै या में मेरो साझो घणो बतायो