भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अखाढ़ / यात्री
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:42, 16 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह=पत्रहीन ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
उठलइ बेश बिहाड़ि
ताहि पर झपलक मेघ आकाश
??धि लेलक दम पुरबा-पछबा
सृष्टि भेल निस्तब्ध
गड़गड़ गड़ गड़ गुड़म गड़ म गुम...
गरजल इन्द्रक हाथी
छाड़ि नचारी गाबए लगाला गिरहथ लोकनि मलार
प्रमुदित दूबिक सीर - सीर
अछि पुलकित कूशक पेंपी
बगए बदलि गेलइक माटि केर
पानि भेल मटमैल
एकार्णवा करह पृथिवीकेँ
आबऽ हे आखाढ़!
आबऽ हे आखाढ!