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मध्य-रात्रि में / सविता सिंह
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मध्य रात्रि में एक काला गुलाब खिला
चांद खिसका अपनी जगह से दूसरी तरफ ज़रा
जंगल में किसी जीव ने ली एक गहरी साँस
स्वप्न में कोई हिरण दौड़ा अकेला
जंगल के पार