भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जियो तो ऐसे जियो / अनिता ललित
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:47, 5 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता ललित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
चढ़ो... तो आसमाँ में चाँद की तरह...
कि आँखों में सबकी... बस सको...
ढलो... तो सागर में सूरज की तरह...
कि नज़र में सबकी टिक सको...!