भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन-सार / अनिता ललित

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 5 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिता ललित |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम की बेड़ियाँ...
फूलों का हार,
विरह के अश्रु...
गंगा की धार ,
समझे जो वेदना... प्रिय के मन की
योग यही जीवन का... है यही सार!