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कुछ भी सोच विचार किया ना / सतबीर पाई

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कुछ भी सोच विचार किया ना न्यू दुख पाया भारी
आज तलक जो मिल्या बताऊं सुण शूद्र नर नारी।...टेक
देखो निगाह पसार द्वार कै बेरोजगारी मिली अक ना
उसतै आगै चलकै देखो चौकीदारी मिली अक ना
नहीं कदे भी कटै गरीबी तनै इसी बिमारी मिली अक ना
क्यूकर जीवै शूद्र भारी तनै या अलाचारी मिली अक ना
एक नफरत न्यारी मिली अक ना जीत मानवता की हारी।...

काली और बसंती देखो माता राणी मिली अक ना
मदायन्नण और लीलामण बूढ़ी तनै इसी इसी स्याणी मिली अक ना
शेरावाली तेराताली लाड्डू बंटवाणी मिली अक ना
मां संतोषी सब की मौसी तनै छोले खाणी मिली अक ना
बाहरली गढज्याणी मिली अक ना जो बच्चों की हत्यारी...

लत्ते ठाऊ लोग सताऊ जिसनै कृष्ण भगवान कहैं
भूखे मारू वक्त गुजारू लोग जिन्हें हनुमान कहैं
राम बणवासी सत्यानासी जिनै छुपकै लेली जान कहैं
शिवजी भंगड़ तन तै नंगड़ इनै नशे विच गलतान कहैं
इसनै पूरा ज्ञान कहैं जिनै सुधबुध खो ली सारी...

कोठी रोटी मिली नहीं तेरी गेल हुई हेरा फेरी
धोखेबाज जालसाजां नै मारी बहुत अकल तेरी
कौण सा खाता रह्या तेरा इब साच बता ना ला देरी
पाई वाले सतबीर सिंह तेरी होई गात की न्यू ढेरी
याहे निवेदन सै मेरी पर आगै मरजी सै थारी...