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कोई बात नहीं ऐतराज की / सतबीर पाई

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कोई बात नहीं इतराज की इसे रोज मरो नर नारी...टेक
सबसे पहले एक पूंजीवादी चोर जार शैतान मर ज्या
दूसरे के हक नै मारै वो पापी बेइमान कर ज्या
जा पूंजी सारी आप गुटक इसी संस्था का प्रधान मर ज्या
आवै कोन्या काम किसे कै एक दाम इसा धनवान मर ज्या
जो पैदा करै द्वेष देश मैं वो कपटी इन्सान मर ज्या
जो झूठे वादे करकै जाते इसे नेता आए प्लान मर ज्या
सादे भोले समाज की जो वोट बेचज्या सारी...

जो मानव से नफरत करता इसा जुल्मी नर नार मर ज्या
ले कै दे दे भेद गैर तै वो माणस बदकार मर ज्या
हेराफेरी करणे आला घरां नहीं तै बाहर मर ज्या
जो वक्त पड़े पै धोखा देज्या ऐसा नकली यार मर ज्या
आपस की बड़ छोट बिना इसा दुखी होवै परिवार मर ज्या
नहीं किते भी पूछताछ इसे कुणबे का मुखत्यार मर ज्या
जरूरत ना दगाबाज की जो करै तुरंत गद्दारी...

समझे कोन्या एक सभी नै इसा राजा और वजीर मर ज्या
जो झूठे देखै हाथ साथ मैं इसे ज्योतिषी और फकीर मर ज्या
आगै पड़े माणस कै एक मारणिया शमशीर मर ज्या
सारा करले माल काबू कट्ठी करू जागीर मर ज्या
नहीं लड़ाई लड़ै सामणै छुपकै मारै तीर मर ज्या
गरीब आदमी भूख रह ले नहीं बंधावै धीर मर ज्या
बुरी हालत बणै मोहताज की तन लागै बैंत करारी...

दंगल के मैं खड्या होकै नै एक खाली मुंह बावणिया मर ज्या
साजिंदा मैं खोट काढ दे लय तै खुद जावणिया मर ज्या
सबतै भुंडा काम नाम पै एक छाप आप लावणिया मर ज्या
आपस के मैं खुद बेड़े की बाहर बात उड़ावणिया मर ज्या
मुद्धे गोड्डे खड़ताल बजावै एक इसा टेक ठावणिया मर ज्या
पाई वाले सतबीर सिंह एक न्यू गंदा गावणिया मर ज्या
जो कदर रै ना साज की इसा मर ज्या वो प्रचारी...