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लोहे कैसी छाती करलां, बज्जर जैसा गात / दयाचंद मायना

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लोहे कैसी छाती करलां, बज्जर जैसा गात
पति चले म्हारे लड़न नै, चीन के साथ...टेक

द्यो तार रेशमी सूंट, टूम धर दो
थारे पतियों की हो जीत, इसा वर दो
इब बिठा पाटड़े पै कर दो, रण दुल्हां की हलदात...

जै दुश्मन नै राह पाग्या तै, इसा दुष्ट देश पै छाग्या सै
याडै राज बराणा आग्या तै
म्हारै धर्म रहै ना जात...

शेरां की छाती तण्या करै
जब गीदड़ का दिल छण्या करै
बार-बार ना जण्या करै, सुत जणने आली मात...

हिन्द के झण्डे लहराएंगे
जब गीत ‘दयाचन्द’ गाएंगे
ये जंग जीत के आएंगे, तुम जब करना मुलाकात...