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पहले आली बात रही ना / दयाचंद मायना

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पहले आली बात रही ना, दिन लिकड़ा इब रात रही ना
भोली जनता! उठ, रह मत सोकै...टेक

बिन विद्या प्रकाश, कड़े तै हो इस डेरे म्हं
सब मुल्कां म्हं उजियाला, हिन्द पड़ा अन्धेरे म्हं
घर तेरे म्हं और बड़ैंगे, जाग-जाग ना तै चोर बड़ैंगे
ले ज्यांगे धन लूट, कमाया था रो-रोकै...

आजादी कै के मागैं यो भारत सै लोभी
दुश्मन तै भी के जीतैंगे, इकलास थारा हो भी
तेली, धोबी, सेख सारे, पाकिस्तानी एक सारे
थारी आपस की फूट, रहैगी घर खोकै...

एक सलाह होणी चाहिए, इन सारी जातां की
कौन समारै और, या बिगड़ी थारे हाथां की
इन बातां की ख्यास करी ना, पढ़कै विद्या पास करी ना
रहे ठूंठ के ठूंठ, अकल ल्याओ टोकै...

अनरीती पै चालणियां, नर पहलम मिटगे
उनके बेड़े पार हो, जो ओम रटगे
तेरे कटैंगे दिन मौज मैं, आजादी की फौज मैं
‘दयाचन्द’ रंगरूट, चाल भर्ती होकै...