भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहले एक चाँद जरूरी है / लीलाधर जगूड़ी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:45, 5 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक आकाश पहाड़ की चोटी पर
एक गड्ढे में
आकाश दोनों हैं
फर्क चाँद सितारों का है

पहली बार यहाँ तलैया थी
दो चाँद दिखे थे
प्‍लेट और परात में भी
दिख सकता है चाँद
अगर पानी हो
पानी हो और चाँद न हो तो?

चाँद दो भी हो सकते हैं और दस भी
पर अनुभव के आकाश में
पहले एक चाँद जरूरी है
तभी दिखेगा कोई चाँद
अनुभव के पाताल में भी

कहीं एक चाँद जरूरी है
चार चाँद लगाने के लिए

क्‍योंकि जो छोटा हो और बड़ा हो जाय
बड़ा हो जाने पर भी छोटा हो जाय
जो होते हुए भी गायब रह सके
और गायब रहकर भी चमक जाय
अनुभव के पाताल के लिए भी
अनुभव के आकाश में
पहले एक चाँद जरूरी है।