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धरनीदास
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धरनीदास
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जन्म | |
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निधन | संवत् 1731 |
जन्म स्थान | माँझी गाँव, सारण, बिहार |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
प्रेम प्रकाश, शब्द प्रकाश | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
धरनीदास / परिचय |
पद
- जहिया भइल गुरु उपदेस / धरनीदास
- पिय बड़ सुन्दर सखि / धरनीदास
- संतो कहा गृहस्त कहा त्यागी / धरनीदास
- है कोई संत राम अनुरागी / धरनीदास
- अमृत नीक कहै सब कोई / धरनीदास
- आदि अनादि मेरा सांई / धरनीदास
- आदि अंत मेरा है राम / धरनीदास
- राम बिन भाव करम नहिं छूटै / धरनीदास
- जो कोई भक्ति किया चहे भाई / धरनीदास
- प्रभुजी तोकह लाज हमारी / धरनीदास
- कोऊ भयो मुंडिया संन्यासी कोऊ जोगी भयो, / धरनीदास
- प्रभुजी अब जनि मोंहि बिसारो / धरनीदास
- पिया मोर बसै गउरगढ़ मैं बसौं प्राग हों / धरनीदास
- भई कंत दरस बिनु बावरी / धरनीदास
- अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे / धरनीदास
- मन तुम कसन करहु रजपूती / धरनीदास
- मैं निरगुनिया गुन नहिं जाना / धरनीदास
- बहुत दिनन पिय बसल बिदेसा / धरनीदास
- हरिजन बा मद के मतवारे / धरनीदास
- सुमिरो हरि नमहि बौरे / धरनीदास