Last modified on 23 जनवरी 2015, at 17:37

मोय ब्रज बिसरत नैया / बुन्देली

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:37, 23 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मोय ब्रज बिसरत नैयां,
सखी री मोय तो ब्रज बिसरत नैयां।।
सोने सरूपे की बनी द्वारिका,
गोकुल जैसी छवि नइयां।
मोय सखी...
उज्जवल जल जमुना की धारा,
बाकी भांति जल नैयां।
मोय सखी...
जो सुख कहियत मात जशोदा,
सो सुख सपने नैयां।
मोय सखी...