♦ रचनाकार: अज्ञात
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या ब्रज में कछु देखो री टोना।
ले मटकी सिर चली गुजरिया
आगे मिले नन्द जी को छोना। या ब्रज...
दधि को नाम बिसर गयो प्यारे
ले-ले रे कोई श्याम सलोना। या ब्रज...
वृन्दावन की कुंज गलिन में,
आँख लगाय गयो मन मोहना। या ब्रज...
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
सुन्दर श्याम सुंदर है सलोना। या ब्रज...