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तुम कैसे मन मारे गोरी ठाड़ी अगना / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तुम कैसे मन मारें गोरी ठांड़ी अंगना।।
काहे के तोरे बाजूबंदा, काहे के ककना,
काहे की तोरी मोहन माला, जप रई अंगना। तुम...
सोने के ये बाजूबंदा चांदी के ककना,
रूपे की तोरी मोहनमाला जप रईं अंगना। तुम...
कौना ले दये बाजूबंदा, कौना ने ककना,
ससुरा जी ने ले दई मोहनमाला जप रई अंगना। तुम...
कैसे टूटे बाजूबंदा, कैसे के कंगना,
कैसे टूटी मोहनमाला जप रई अंगना। तुम...
खेलत टूटे बाजूबंदा, निहुरत के ककना,
पहिनत टूटी मोहनमाला जप रई अंगना। तुम...