भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दल रे बादल बिन चमक्यो तारे / मालवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 30 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
दल रे बादल बिन चमक्यो तारे
कि सांझ पड़े पियु लागे प्यारे
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
को रसियाजी तमखे किने बिलमाया
तो छोटी का जात बड़ी बिलमाय
बिछिया को रस अनवट लीनो
तो अनवट को रस रामचन्द्र लीनो
कई रे जुवाब करूँ रसिया से
जवाब करूँगी, सवाल करूँगी
केसरिया रा नैणां में रीझ रहूंगी
पातलिया रा नैणां में रीझ रहूंगी
(केसरिया, पातलिया आदि पति के सम्बोधन हैं। ‘अनवट’ अँगूठे का गहना है। ‘रामचन्द्र’ पति का पर्याय है।)