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आपन दिन कइसे बिताईं / विनय राय ‘बबुरंग’
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रउवा ई बतलाई
कि हम आपन गांव में
दिन बिताईं त कइसे बिताईं?
दयादन क मत पूछीं हाल
ई अइसन कइले बानऽ बेहाल
जे बुडुवा अस
पानी में हमार गोड़ खीचें
आ धोबी अस हमरा के
घाट पर फीचें।
बाह रे दयाद बाह!
दयाद केहू होखे
त अइसने दयाद होखे
खाली उनका बिरादरी क
वोट से मतलब होखे
फिर मतलब निकल गइला क बाद
केहू से मतलब ना होखे।
हाय! हाय रे! बिरादरीबाद
ई सभके क देई बरबाद
अइसन बिरादर सातो जनम लिहला पर
केहू के भुलइलो न मिला
ऐ भाई
त रउवा ई बतलाईं कि
गांव में आपन दिन
बिताईं त कइसे बिताईं?