भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहिली भंवरि फिरि आयउं बाबा / बघेली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:23, 18 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पहिली भंवरि फिरि आयउं बाबा
अबहूं तुम्हारी हौं हो
दूसरी भंवरि फिरि आयउं आजी बहूं
अबहूं तुम्हारी हौं हो
तिसरी भंवरि फिरि आयउं बाबू
अबहूं तुम्हारी हौं हो
चौथी भंवरि फिरि आयउं भइया
अबहूं तुम्हारी हौं हो
पंचई भंवरि फिरि आयउं काका
अबहूं तुम्हारी हौं हो
छठई भंवरि फिरि आयउं नाना अबहूं
अबहूं तुम्हारी हौं हो
सतई भंवरि फिरि आयउं माया
अब मैं भयउं पराई हौं हो।