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उतरो-उतरो रे सरग का देव पित्तर / पँवारी

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

उतरो-उतरो रे सरग का देव पित्तर
तुम्ह घरऽ पघरन कारन काजू
तुम्हरो पघरन तुम सम्हारो
हमरो आनो नी होय
सरग की बाटऽ बड़ी अवघड़
हमारो आनो नी होय
उतरो-उतरो रे सरग का छोटे देवअ्
तुम्ह घरऽ पघरन कारन काजू
सरग की बाटऽ बड़ी अवघड़
हमरो आनो नी होय
उतरो-उतरो रे सरग का राधेलाल
तुम्ह घरऽ पघरन कारन काजू
हम्मारो आनो नी होय
तुम्हरो पघरन तुम सम्हारो
हमरो आनो नी होय