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कहाँ सी मेहंदी ऊबजी कहाँ लियो अवतार / पँवारी
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पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कहाँ सी मेहंदी ऊबजी कहाँ लियो अवतार
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
सरग सी मेहंदी ऊबजी, धरती लियो अवतार
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
सावन महिना मेहंदी को, गोरी खुड्या एक-एक पान
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
खुड़ी-खुड़ाई डल्ला भरी, धरऽ दी ओसारी माँझ
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
कहाँ सी लाऊँ सिल-ओ सिलौटा, कहाँ से लाऊँ दुई बाँट
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
गंगा सी लाऊँ, सिल ओ-सिलौटा, जमुना से लाऊँ दुई बाँट
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
खसमस मेहंदी बाटन्ती, नथनी तो झोला खाय
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
बटी-बटायी बाटका भरी, धरअ् दी कोठी का माँझ
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
दिवर्या लगाये चिली- अँगठी, भौजी लगाये दुई हाथ
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।
दिवर्या बताये अपनी माय सी, भौजी कोहे बताय
मेहंदी राछड़ी मोरे लाल।